ओव्यूलेशन इंडक्शन एक से अधिक अंडाणु बनाने की प्रक्रिया है जिसमें स्त्री को कुछ इंजेक्शन लगाए जाते हैं ताकि एक से अधिक अंडाणु बन सकें और उनका इस्तेमाल आईवीएफ/ आईयुआई आदि के लिए किया जा सके।
ओव्यूलेशन इंडक्शन किसके लिए उपयुक्त है?
• आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान अधिक भ्रूण पैदा करने के लिए
• उन स्त्रियों में जिनमें अंडाणु निकल नहीं रहे हैं
• PCOD से पीड़ित महिलाओं के लिए
• जिन महिलाओ में किसी भी वजह से अंडाणु बनने की प्रक्रिया में कमी आ रही है जैसे शारीरिक कमज़ोरी, पोषण की कमी, अधिक व्यायाम आदि।
• बच्चा पैदा होने की संभावना को बढ़ाने के लिए
• माहवारी को नियमित करने के लिए
• जो आईवीएफ नहीं करवाना चाहते वो भी ओव्यूलेशन इंडक्शन के बाद प्राकर्तिक प्रकिया से बच्चा पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं और ये IUI के लिए भी उपयुक्त है
ओव्यूलेशन इंडक्शन प्रक्रिया के चरण
• स्टिमुलेशन / उत्तेज़न
इस चरण में कुछ दवाइयाँ या इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे फॉलिकल जिनके अंदर अंडा होता है उनको बड़े होने में मदद मिलती है।
• निगरानी / अवलोकन
इस चरण में फॉलिकल का अवलोकन किया जाता है की वो ठीक से बढ़ रहा है या नहीं। डॉक्टर ये निगरानी अल्ट्रासॉउन्ड और खून की जांच द्वारा रखते हैं ताकि दवाई के असर का पता चल सके।
• अंडाणु प्रदर्शन
जब फॉलिकल पूरी तरह परिपक़्व हो जाते हैं तो अंडाणु निकलता है। उसी समय अंडकोष में से अंडाणु को निकाल लिया जाता है। उस अंडे को फिर आईवीएफ प्रक्रिया के लिए लैब में ले जाया जाता है। जहाँ इस अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन करवा के भ्रूण बनाया जाता है। जो लोग आईवीएफ नहीं करवाना चाहते उन्हें इसी समय संभोग करने के लिए कहा जाता है।
ओव्यूलेशन इंडक्शन के फायदे
• अच्छी गुणवत्ता वाले अंडाणु प्राप्त होते हैं जिसकी वजह से प्रैग्नैंसी के अवसर बढ़ जाते हैं।
• एक से अधिक अंडाणु होने पर कई भ्रूण बन जाते हैं जिनमें से सबसे स्वस्थ भ्रूण को ही बच्चेदानी में स्थापित किया जाता है (Embryo Transfer)।
• कई स्वस्थ भ्रूण होने पर इनमें से कुछ को भविष्य के लिए embryo freezing द्वारा संग्रह कर के रखा जा सकता है।
• अन्य प्रेगनेंसी के इलाज़ से सम्बंधित प्रक्रियाओं जैसे IUI और प्राकर्तिक गर्भधारण में भी ovulation induction की प्रक्रिया काम आती है और संतान प्राप्ति में मददगार है।
• इसमें खर्च कम है और इसके लिए केवल कुछ दवाईयाँ और इंजेक्शन लेने होते हैं।
ओव्यूलेशन इंडक्शन करवाने के बाद के लक्षण या साइड-इफ़ेक्ट
इन इंजेक्शन और दवाईयों के प्रभाव से कुछ लक्षण देखने में आते हैं जो मरीजों के लिए मुश्किल हो सकते हैं, ऐसे में तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं –
• उल्टी आना
• पेडू में दर्द
• थकान
• पेट में हवा का भराव
• मन का उदास होना
• शरीर में अचानक गर्मी महसूस होना
ओव्यूलेशन इंडक्शन के द्वारा माँ के शरीर में एक से अधिक अंडाणु पैदा करवाए जाते हैं ताकि प्रेगनेंसी की सम्भावनायें अधिकतम हो और अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकें। इस इलाज़ का लाभ वो दम्पति भी उठा सकते हैं जो आईवीएफ प्रक्रिया का खर्च वहन नहीं कर सकते। क्योंकि ओव्यूलेशन इंडक्शन के बाद प्राकर्तिक संभोग की प्रक्रिया से भी बच्चा पैदा होने के अवसर बढ़ जाते हैं। इसके बाद IUI का इलाज़ भी करवाया जा सकता है।
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