ट्रांस वैजिनल अल्ट्रासाउंड या TVS एक ऐसा अल्ट्रासाउंड है जिससे अंदर के अंगो जैसे यूट्रस, ओवरी, फ़ेलोपियन ट्यूब आदि की स्थिति, आकार और किसी बिमारी के होने का पता चलता है। यह प्रक्रिया दर्द – रहित होती है और केवल 15 मिनट में समाप्त हो जाती है। इसका इस्तेमाल IVF की प्रक्रिया के दौरान भी किया जाता है।
यह अल्ट्रासाउंड अंडाणु की सही स्थिति का पता लगाता है और उसे निकालने का सही समय निर्धारण करता है। कई बार भ्रूण को बच्चेदानी में रखते हुए (blastocyst transfer) भी TVS महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। IVF के बारे में अधिक जानने के लिए best IVF Centre Delhi, Joyce IVF की वेबसाइट पर जाएँ।
TVS क्यों किया जाता है?
फॉलिकल्स की स्थिति जानने के लिए (Check for Follicle Maturity)
कितने फॉलिकल्स हैं और ये बड़े हो गए हैं या नहीं, ये जांचना भी आवश्यक है। ये जांच कर के ही अंडाणु निकाला जाता (Egg retrieval) है जो की लैब में भ्रूण बनाने के लिए जरूरी है।
रसौली का पता लगाने के लिए (Uterine Fibroids)
रसौली की वजह से प्रेगनेंसी में दिक्कत हो सकती है और इससे गर्भपात का भी खतरा होता है।
यूट्रस की परत की मोटाई की जांच (Endometrial Lining)
ट्रांस वैजिनल अल्ट्रासाउंड बच्चेदानी (यूट्रस) की परत की मोटाई की जांच बहुत ही अच्छे तरीके से करता है। परत की मोटाई कम या ज्यादा होने पर गर्भधारण में समस्या आ सकती है।
ट्यूब की जाँच (Hydrosalphinx)
कई बार ट्यूब आपस में चिपकने या उनमें पानी भरने की समस्या के चलते भी गर्भधारण नहीं हो पाता। परन्तु ऐसे मरीजों को IVF द्वारा गर्भधारण करने में समस्या नहीं होती।
ट्यूब में प्रेगनेंसी की जांच (Ectopic Pregnancy)
कई बार प्राकर्तिक गर्भधारण के समय भ्रूण की स्थापना बच्चेदानी की जगह फ़ेलोपियन ट्यूब में हो जाती है। जो की माँ के लिए खतरनाक हो सकता है, TVS इसका पता लगाता है ताकि समय रहते इसका निदान हो सके।
प्रेगनेंसी की जांच (Early Detection of Pregnancy)
ट्रांस वैजिनल अल्ट्रासाउंड का प्रयोग प्रेगनेंसी का सर्वेक्षण और उसका पता लगाने में किया जाता है। यह दूसरे अल्ट्रासाउंड के मुकाबले प्रेगनेंसी का ज्यादा जल्दी पता लगा सकता है।
बिमारियों की जाँच (Female Reproductive Disorders)
कुछ स्त्री रोगों की जांच के लिए भी ट्रांस वैजिनल अल्ट्रासाउंड उपयोगी है जैसे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic inflammatory disease PID), ओवेरियन सिस्ट (ovarian cyst) और कैंसर आदि।
ट्रांस वैजिनल अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाता है
• अल्ट्रासाउंड के कमरे में मरीज को आरामदायक स्थिति में लिटाया जाता है।
• मरीज़ के पैर स्टिरप में ऊंचे रख दिए जाते हैं ताकि योनि खुल सके।
• अल्ट्रासाउंड के लिए जांचने वाली मशीन पर एक कंडोम और जेल लगा कर उसे योनि (vagina) में तीन इंच तक अंदर डाला जाता है।
• प्रोब को थोड़ा घुमा कर पूरी बच्चेदानी की तस्वीरें ली जाती हैं।
• पूरा मुआयना करने के बाद प्रोब को आराम से निकाला जाता है।
• आप तुरंत घर जा सकते हैं।
• इस प्रक्रिया में कोई दर्द नहीं होता।
ट्रांस वैजिनल अल्ट्रासाउंड के समय ध्यान देने योग्य बातें
• ट्रांस वैजिनल अल्ट्रासाउंड से पहले यूरिन पास करने की सलाह दी जाती है ताकि यूरिनरी ब्लैडर बच्चेदानी को देखने में अवरोध पैदा न कर सके।
• ये अल्ट्रासाउंड माहवारी के दिनों में भी किया जा सकता है।
• अगर आपको किसी जेल से एलर्जी है तो कृपया डॉक्टर को पहले बता दें।
• अल्ट्रासाउंड के समय प्रोब के कारण आपको थोड़ा दबाव महसूस हो सकता है जो की आम है, कृपया शांत रहे। यह केवल कुछ मिनट के लिए है।
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