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टेस्टोस्टेरोन – जानिये एक पुरुष के लिए क्यों है ये सबसे जरूरी हॉर्मोन

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हॉर्मोन हमारे शरीर में पैदा होने वाले वो रसायन हैं जो शरीर की बहुत सी गतिविधियों के लिए उपयोगी ही नहीं आवश्यक भी हैं। इन्ही में से एक अत्यधिक आवश्यक हॉर्मोन है टेस्टोस्टेरोन जो की पुरुष-हॉर्मोन के नाम से भी जाना जाता है। ये हॉर्मोन कुछ बेहद जरूरी कार्यों के लिए आवश्यक होता है जैसे स्पर्म का बनना, ताकत या ऊर्जा का सृजन, हड्डियों की मजबूती, और पुरुष की सभी यौन गतिविधियों के लिए भी टेस्टोस्टेरोन ही जिम्मेदार है।

बहुत से मरीज़ों में बच्चा होने में देरी होने का एक प्रमुख कारण, पुरुष में टेस्टोस्टेरोन की कमी है। हम यहाँ Joyce IVF Center में आने वाले हर दंपति में पुरुष की टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की जाँच करते हैं ताकि प्रेगनेंसी में आने वाली हर अड़चन का इलाज़ किया जा सके। इस लेख में आप जानेगें की इस हॉर्मोन की जांच क्यों जरूरी है, कैसे की जाती है और इसकी कमी को कैसे पूरा किया जाता है –

टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन के कार्य

शुक्राणु का बनना (Sperm formation) – टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन के स्त्राव से ही स्पर्म बनते हैं और इनका सही मात्रा में बनना गर्भधारण के लिए अत्यंत आवश्यक है। टेस्टोस्टेरोन के कम होने पर कम स्पर्म बन सकते हैं और गर्भधारण में समस्या आती है।

यौन इच्छा (libido) – जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी होती है उनमें यौन इच्छा भी कम पायी जाती है।

• बाल उगाना (Hair Growth) – पुरुषों में बालों की अधिकता टेस्टोस्टेरोन के कारण ही होती है। शरीर और चेहरे पर बाल कम होना टेस्टोस्टेरोन की कमी का संकेत हो सकता है।

शारीरिक बल (Body Strength) – हड्डियों को मजबूती देना, मांसपेशियों में ताकत लाना और शरीर में अत्यधिक चर्बी इक्कठा न होने देना भी टेस्टोस्टेरोन का ही काम है। इसीलिए इसकी कमी से शारीरिक दुर्बलता और हड्डी टूटने का खतरा अधिक हो जाता है।

जननांगों का परिपक़्व होना (Maturity of Reproductive Organs) – पुरुष के जननागों का परिपक्व होना और उनके आकार का बड़ा होना भी टेस्टोस्टेरोन के बढ़ने के कारण ही होता है। किशोरावस्था में टेस्टोस्टेरोन का सबसे अधिक स्त्राव होता है ताकि गुप्तांग पूरी तरह विकसित हो सकें।

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टेस्टोस्टेरोन की कमी के कारण

बढ़ती आयु (Age) – 30 वर्ष की उम्र के बाद हर वर्ष लगभग 1 प्रतिशत की दर से टेस्टोस्टेरोन कम होता जाता है। इसीलिए अधिक आयु में भी कम स्पर्म होने के कारण IVF इलाज लेना पड़ सकता है।
मोटापा (obesity) – अधिक वजन होने से भी टेस्टोस्टेरोन का स्त्राव सुचारु रूप से नहीं हो पाता।
थायरॉइड के स्त्राव में कमी (Thyroid Disorder) – थायरॉइड ग्रंथि के स्त्राव में कमी होने से भी टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन के निकलने पर असर पड़ता है।
हॉर्मोन असंतुलन (Hormonal Imbalance) – किसी बीमारी या बुरी दिनचर्या की वजह से भी टेस्टोस्टेरोन की कमी देखी गयी है।

टेस्टोस्टेरोन की जांच

खून की जांच से ही टेस्टोस्टेरोन के स्त्राव के बारे में जानकारी ली जा सकती है। इस जांच से खून में इस हॉर्मोन के स्तर पता लगाया जाता है।

टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन के कम होने पर भी IVF प्रक्रिया के द्वारा और शुक्राणु कम होने पर भी ICSI प्रक्रिया के द्वारा भ्रूण बना कर स्त्री की बच्चेदानी में स्थापित किया जाता है। अगर आप इसी समस्या से जूझ रहे हैं तो आज ही Joyce IVF में कॉल करें और अपने संतान प्राप्ति के सपने को साकार करें।

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